शरद पूर्णिमा के अवसर पर हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा द्वारा काब्य गोष्ठी का आयोजन निषाद सामाजिक भवन में किया गया।

भास्कर न्यूज24/वीरेन्द्र भारद्वाज/दल्लीराजहरा । शरद पूर्णिमा के अवसर पर हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्ली राजहरा द्वारा काब्य गोष्ठी का आयोजन निषाद सामाजिक भवन में किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति अध्यक्ष संतोष कुमार ठाकुर “सरल” ने की । विशेष अतिथि के रूप में डॉक्टर शिरोमणि माथुर , आचार्य जे.आर. महिलांगे और श्री अमित सिन्हा महाप्रबंधक सुरक्षा उपस्थित रहे । सर्वप्रथम मां पाणि की पूजा अर्चना शब्द सुमन अर्पित किए गए । खीर प्रसाद के लिए खुले आसमान के नीचे रखकर कवियों ने शरद पूर्णिमा की महत्ता के बारे में अपने विचार रखे । आज के दिन आयुर्वेदिक , साहित्यिक, सृजनात्मक और स्वास्थ्य, हर तरह से शुभकारी है। आचार्य महिलांगे जी ने बताया, शरद ऋतु नवरात्रि पर्व के साथ शुरू हो जाता है । भगवान श्री कृष्ण ने राधिका रानी और गोपियों के संग रास लीला रचाए । वरिष्ठ साहित्यकार श्री शमीम अहमद सिद्दीकी ने कहा इस दिन का बड़ा महत्व वर्षों से है , जब खीर ओषधि के रूप में खुले में रखकर कुछ घंटों के बाद जब चंद्र किरण उस पड़ता है तो, ऐसी मान्यता है शास्त्रों के अनुसार कि अस्थमा , सर्दी, और बहुत सी बीमारियों में लाभदायक है। पहले और अब भी कुछ जगहों पर खीर को चंद्र किरण अमृत बरसने के बाद अगले दिन दवाई के रूप उपयोगी प्रसाद रूप में बांट दिया जाता है। पहले 51 जड़ी बूटी से खीर तैयार किया जाता रहा , जो उन्होंने भी प्रसाद को ग्रहण किया है।उसके बाद कवियों ने गीत, कविता पाठ कर दोहरी खुशी बांटे। डॉ . शिरोमणि माथुर ने पुरुषों के सम्मान में रचना पाठ की अद्भुत पुरुष बनाया प्रभु ने , उसे कई वरदान दिए
कई बनाएं रिश्ते उससे , और अनेकों नाम दिए ।घनश्याम पारकर ने हास्य व्यंग्य रचना पाठ किया_ तोर घर सगा , मोर घर सगा , घरों घर झमेला हमर गांव में होत हे आज मड़ई मेला ।
शमीम सिद्दीकी जी की गज़ल बानगी रही _
दुश्मनी निकलने में देर कितनी लगती है
दोस्त को बदलने में देर कितनी लगती है ।
संतोष ठाकुर ने मुक्तक, गज़ल सुनाया जो इस प्रकार से है _ चांदनी रात है, चांद का उजाला है महफिल सजी है सामने, खीर का प्याला है ।अन्य कवियों में अमित सिन्हा अपने, परिवार और दोस्तों को याद कर गीत के साथ उन्हें महसूस करने का प्रयास किया । कामता प्रसाद धृतलहरे ने चांद पर कविता पाठ किया । आद. अमित दुबे “प्रखर”,ने भी चांद के बहाने अपनों को यादकर, छत पर मिलने आओगे क्या ..। श्री मनोज पाटिल ने भी व्यंग्य रचना पढ़कर वाहवाही लूटी । आचार्य महिलांगे ने दर्शनात्मक रचना पाठ किया । श्री गोविंद कुट्टी पाणिकर जी ने मुक्तक और छोटी साहित्यिक रचना का पाठ किया । अंत में कार्यक्रम की समाप्ति उपरांत खीर वितरण किया गया और प्रसाद के रूप में सभी ने खीर का भी आनंद लिया । सभी नगर वासियों को शुभ शरद पूर्णिमा और आदि कवि महर्षि बाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं संप्रेषित किए । आभार प्रदर्शन श्री घनश्याम पारकर समिति उपाध्यक्ष ने की । कार्यक्रम का सफल संचालन अमित दुबे प्रखर ने की ।