शासन को युक्तियुक्तकरण के फरमान को तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिए एवं 2008 के सेटअप के अनुसार ही स्कूलों को चलने देना चाहिए-रत्तिराम कोसमा( विधायक प्रतिनिधि)

भास्कर न्यूज़ 24/ वीरेंद्र भारद्वाज/ दल्लीराजहरा। युक्तियुक्तकरण शिक्षा जगत में हलचल मचा कर रखा हुआ एक शब्द है। अतिशेष शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के माध्यम से अन्य स्कूलों में भेजा जा रहा है जहां शिक्षक कम है वहां अतिशेष शिक्षक की पदस्थापन होनी है। सुनकर अच्छा लगता है कि शासन एक अच्छा प्रयास कर रही है कि जिन स्कूलों में शिक्षक कम है या शिक्षक विहीन शालाओं में पदस्थापना होगी लेकिन सच इसके एकदम विपरीत है शासन में बैठे हुए लोग अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों को प्रताड़ित करने एवं अपने चहेते को लाभ पहुंचाने के लिए इस युक्तियुक्त करण का लाभ ले रहे हैं । युक्तियुक्तकरण में जिला शिक्षा अधिकारी ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के रिश्तेदार भी, अतिशेष शिक्षक के रूप में आ रहे हैं लेकिन उन्हें बचाने के लिए ब्लॉक शिक्षा अधिकारी एवं जिला शिक्षा अधिकारियों के द्वारा गलत आंकड़े प्रस्तुत किए जा रहे हैं । कोई अपनी पत्नी को बचा रहे हैं कोई अपने साली को बचा रहा है कोई अपने भाई को बचा रहा है कोई अपने बहू को बचा रहा है यह खेल संपूर्ण छत्तीसगढ़ में चल रहा है। कुल मिलाकर यह सिर्फ शिक्षकों को परेशान करने का क्रियाकलाप नहीं है बल्कि स्कूली बच्चों को भी परेशान करने की मंशा से यह सब किया जा रहा है। वर्ष 2008 में एक सेटअप तैयार किया गया था और वह सेटअप बेहतर ढंग से चल भी रहा था लेकिन उस सेटअप को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया। और शिक्षा सचिव एवं शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी मनमानी करते हुए युक्तिकरण का फरमान जारी कर दिया है।
हाल ही में भाजपा के नेताओं एवं शासन के जिम्मेदारों के द्वारा विज्ञप्ति जारी करते युक्तियुक्तकरण के फायदे गिनाए जा रहे हैं । जबकि सच्चाई क्या है? यह शिक्षक ही जानते हैं शिक्षक लगातार आंदोलन पर आंदोलन कर रहे हैं सरकार सुनने को तैयार नहीं है क्योंकि यह सरकार हमेशा से कर्मचारियों की विरोधी ही रही है शासन को युक्तियुक्तकरण के इस फरमान को तत्काल प्रभाव से रोकना चाहिए एवं 2008 के सेटअप के अनुसार ही स्कूलों को चलने देना चाहिए साथ ही स्कूलों में जो कमियां है उन्हें पूरा करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।