शासकीय नेमीचंद जैन महाविद्यालय: अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता एक ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान – एम. एस. श्रीजीत (शिक्षक एवं महामंत्री, भाजयुमो)

भास्कर न्यूज़ 24/ वीरेंद्र भारद्वाज/दल्लीराजहरा। नगर का गौरवशाली शासकीय नेमीचंद जैन कला, वाणिज्य एवं विज्ञान महाविद्यालय आज एक गंभीर संकट से गुजर रहा है। यह वही महाविद्यालय है जिसने दशकों तक हजारों छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा देकर उन्हें समाज में एक नई पहचान दी। परंतु आज यह संस्थान संसाधनों की कमी, शासन की उपेक्षा और आधुनिक सुविधाओं के अभाव में अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है।
भाजयुमो के महामंत्री एम. एस. श्रीजीत, जो स्वयं शिक्षा से जुड़े हुए हैं, ने कहा, “यह कॉलेज केवल भवन नहीं है, बल्कि यह दल्ली राजहरा की शिक्षा की आत्मा है। यह संस्था नगर के सामाजिक और बौद्धिक विकास का आधार रही है। आज जब अन्य संस्थानों में आधुनिक भवन, डिजिटल कक्षाएं, वाई-फाई कैंपस और लैब सुविधाएं हैं, तब हमारे ऐतिहासिक महाविद्यालय को उपेक्षा के अंधकार में धकेला जा रहा है।”
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि कॉलेज प्रशासन की ओर से नए कक्षों के निर्माण कार्य की पहल की गई है, जो प्रशंसनीय है, किंतु यह पर्याप्त नहीं है।विभागीय कार्य मे वो भी अटक गया है। आज छात्रों को समग्र शैक्षणिक वातावरण की आवश्यकता है, जिसमें डिजिटल संसाधनयुक्त लाइब्रेरी, उच्च गुणवत्ता वाली प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर सुविधाएं, स्मार्ट क्लासरूम और कैरियर गाइडेंस सेल जैसी मूलभूत सुविधाएं शामिल हैं।
महाविद्यालय में उपलब्ध पाठ्यक्रमों की बात करें तो यहाँ बी.ए., बी.कॉम, बी.एससी., एम.ए. (हिंदी साहित्य, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र), एम.कॉम, एम.एससी., पीजीडीसीए (PGDCA) और डीसीए (DCA) जैसे अनेक स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित होते हैं। इन कोर्सों में स्थानीय छात्रों की अच्छी रुचि होती है, लेकिन आधारभूत संसाधनों के अभाव में उनकी पढ़ाई और प्रगति प्रभावित हो रही है। दल्ली राजहरा नगर के छात्र-छात्राएं आसपास के महाविद्यालय में अपना प्रवेश ले रहे है जिस कारण प्रतिवर्ष महाविद्यालय में छात्रों की संख्या कम होती जा रही है जो एक चिंता का विषय है। श्रीजीत ने राज्य शासन एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे इस शिक्षण संस्थान की गंभीर स्थिति को समझते हुए शीघ्र आवश्यक कदम उठाएं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम आज इस महाविद्यालय को मजबूत नहीं कर पाए, तो आने वाली पीढ़ियां एक सशक्त शैक्षणिक आधार से वंचित रह जाएंगी। नगरवासियों, पूर्व छात्रों, समाजसेवियों एवं शिक्षा प्रेमियों से भी अपील की कि वे इस कॉलेज के पुनरुत्थान के लिए आगे आएं और एकजुट होकर इसके विकास में अपना योगदान दें। यह विज्ञप्ति केवल एक बयान नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — यदि हमने समय रहते कदम नहीं उठाया, तो दल्ली राजहरा की शैक्षणिक गरिमा इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी।



