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सर्पों का संरक्षक: दल्लीराजहरा के बलराम पटेल की बहादुरी और सेवा की मिसाल।

भास्कर न्यूज़ 24/ वीरेंद्र भारद्वाज/ दल्लीराजहरा।
जहाँ अधिकतर लोग सांप का नाम सुनते ही डर से कांप उठते हैं, वहीं दल्लीराजहरा के बलराम पटेल ऐसे बिरले व्यक्तियों में से हैं, जो न केवल सांपों को बचाते हैं, बल्कि उन्हें उनके सुरक्षित प्राकृतिक आवास तक पहुंचाते हैं। बलराम पटेल को आज लोग ‘सर्प रक्षक’ के नाम से जानते हैं — और यह पहचान उन्होंने अपने साहस, सेवा और समर्पण से अर्जित की है।

अब तक 300 से अधिक सांपों को बलराम घरों, दुकानों और रिहायशी इलाकों से सुरक्षित पकड़कर जंगल में छोड़ चुके हैं, ताकि ना तो इंसान को खतरा हो, और ना ही सांप की जान जाए। वे यह कार्य निःस्वार्थ रूप से, बिना किसी सरकारी सहयोग या व्यक्तिगत लाभ के करते हैं।

आज उन्होंने एक 8 फीट लंबा दुर्लभ रेड स्नेक (असोड़िया) पकड़ा और उसे कोकान के जंगल में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया। ऐसे रेस्क्यू मिशन कई बार बेहद खतरनाक होते हैं, लेकिन बलराम हर बार पूरे आत्मविश्वास और धैर्य के साथ काम करते हैं।

उनका मानना है कि – “सांप मारने के लिए नहीं, समझने के लिए होते हैं। अधिकतर सांप जहरीले नहीं होते और वे इंसानों को तभी नुकसान पहुंचाते हैं जब खुद को खतरे में महसूस करते हैं।”

छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले प्रमुख सांप जिनसे बलराम का सामना हो चुका है:

कोबरा (नाग) ,भारतीय पायथन, रेड स्नेक (असोड़िया), बैंडेड किंग स्नेक (बंदर सांप), रैटल स्नेक, वॉटर स्नेक

स्थानीय लोग बलराम पटेल के इस सेवा कार्य की खुले दिल से सराहना करते हैं। उनकी निडरता, जागरूकता और जीवों के प्रति संवेदनशीलता, उन्हें समाज में एक असली हीरो के रूप में स्थापित करती है।

बलराम पटेल आज युवाओं के लिए प्रेरणा हैं – यह साबित करते हुए कि अगर मन में जुनून और दिल में करुणा हो, तो कोई भी साधारण व्यक्ति असाधारण काम कर सकता है।

वीरेन्द्र भारद्वाज

चीफ़ एडिटर, भास्कर न्यूज़ 24

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